तू कहे अगर
तो लौट जाऊं वहां ......
जहाँ से कोई लौटा ही नहीं
तू कहे अगर
तो रुक जाऊं और मोड़ लू राहें अपनी, उस डगर को .....
जहाँ से कोई आता ही नहीं
तू कहे अगर
तो रूठ जाऊं पल भर को, के यह भी भूल गए है ... ...
कभी कोई मनाता ही नहीं
तू कहे अगर
तो मूँद ले आँखें फिर से ,
ख्व़ाब में कोई आता ही नहीं …….
तो लौट जाऊं वहां ......
जहाँ से कोई लौटा ही नहीं
तू कहे अगर
तो रुक जाऊं और मोड़ लू राहें अपनी, उस डगर को .....
जहाँ से कोई आता ही नहीं
तू कहे अगर
तो रूठ जाऊं पल भर को, के यह भी भूल गए है ... ...
कभी कोई मनाता ही नहीं
तू कहे अगर
तो मूँद ले आँखें फिर से ,
ख्व़ाब में कोई आता ही नहीं …….