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Tuesday, June 02, 2015

बेबसी है , तन्हाई है , बेक़रारी है 
दिन कटा नहीं काटा है 
रात गुज़री नहीं गुज़ारी है 

दिल डूबता है और सांस भारी है 
जिए जाने की रसम जारी है 

दिन कटा नहीं काटा है 
रात गुज़री नहीं गुज़ारी है 

Wednesday, August 13, 2014

 दिल की  बात अब कहे किस से
वो कहानिया वो अफ़साने वो बेकार के किस्से    । । ।

 दिल की  बात अब कहे किस से  । ।

कुछ संग ले गए मुझे, कुछ अपना छोड़ गए तुम
ग़म संग  ले गए तुम, बस  हसीं  छोड़ी मेरे हिस्से

 दिल की  बात अब कहे किस से
वो कहानिया वो अफ़साने वो बेकार के किस्से    । । ।

वो शामें   वो गाने   वो महफ़िले   वो चर्चे , सारी रौनक़ थी तुमसे
सब हैं वहीं पर अब बुझ सी गयी हैं , उठके महफ़िल से गए तुम जब से

 दिल की  बात अब कहे किस से  । ।

Thursday, October 10, 2013

तू कहे अगर

तू कहे अगर
      तो लौट जाऊं  वहां ...... 
      जहाँ से कोई लौटा ही नहीं
तू कहे अगर
     तो रुक जाऊं और मोड़ लू राहें अपनी, उस डगर को .....
     जहाँ से कोई आता ही नहीं

तू कहे अगर    
      तो रूठ जाऊं पल भर को, के यह भी भूल गए है ... ...
     कभी कोई मनाता ही नहीं
तू कहे अगर
   तो मूँद ले आँखें फिर से ,
   ख्व़ाब में कोई आता ही नहीं …….

Thursday, January 31, 2013

you are not my antidote
you are not my addiction
you are not my journey
you are not my destination

जो ओढ़े बादलों की चादर , वोह तुम नहीं
जो बोले बारिशों की बोली , वोह तुम नहीं
जो करे तारों से बातें , वोह तुम नहीं
जो घोले शामों में काज़ल , वोह तुम नहीं 

you are not my rainbow
you are not my companion
you are not my twilight
you are not my beacon

जो पहने चाँद का टीका , वोह तुम नहीं
जो बोए इंद्रधनुष की क्यारी , वोह तुम नहीं
जो हो फ्हुहार झरना की, वोह तुम नहीं
जो रोके उड़ती हवा को, वोह तुम नहीं 

ज़िन्दगी !!!

Thursday, December 20, 2012

घर तलाशते है

जब से घर छूटा है
                 ....बस एक घर तलाशते है
ख़ानाबदोश सफ़र में ...बस एक घर तलाशते है

पहिये लगे है पाँव में
                   ....हवाओं के रुख चले है...
तिशनगी बड़ी है....और ख़ाक छानते है 
ख़ानाबदोश सफ़र में ...बस एक घर तलाशते है

कुछ खुद से रूठे रूठे ..
      कुछ सपने टूटे फूटे .....पलकों में संभालते है
अनजान से  शहर में पहचान ढूंढते है
ख़ानाबदोश सफ़र में ...बस एक घर तलाशते है

उदासिया नहीं है
                  ....खामोशियाँ बहुत है
सुकून ज़रा सा कम है
              ....रौशनी बहुत है
रातों को यूँ ही बेवजह जागते है

ख़ानाबदोश सफ़र में ...बस एक घर तलाशते है

.... ...बस एक घर तलाशते है

Monday, November 26, 2012

पानी आसमां से भी गिरता है
और ज़मीन से भी फूटता है
सर्दी की सुबह लॉन को ओस की चादर से धक् देता है
और पत्ते भी कुछ बटोर लेते है इससे

कुछ कुँए बहुत सहेज कर रखते है इसे
जैसे कोई पुराना राज़ हो इस में
बस एक अजीब सी महक आती है
और अन्दर झाँकने में डर लगता है
कभी कुछ बोलों तो अपनी आवाज़ भी भयानक लगती है

कभी पलकों में थमता भी नहीं
बह जाता है , बहा ले जाता है
कभी काजल  के बाँध से बंध  जाता है
हौले हौले तेज़ाब  बन कर अन्दर ही अन्दर रिसता  है

पानी आसमां से भी गिरता है
और ज़मीन से भी फूटता है

Wednesday, November 14, 2012

झूठी बाते तेरी ....
 ...... झूठी आँखे तेरी
झूठा प्यार तेरा ...
.......झूठी गाली तेरी

झूठे वादे तेरे ....
.......झूठी कसमें सभी
झूठा झूठ तेरा ....
.........झूठी नफ़रत तेरी

झूठी बाते तेरी .....
.........झूठी आँखे तेरी
झूठा प्यार तेरा ..
...............झूठी गाली तेरी

Thursday, August 02, 2012

वक़्त

चलता है ....बहता है ...उड़ता है...बस कटता  नहीं है......

Monday, June 04, 2012

..आओ बैठो ....कुछ और भी बताना है
एक नयी कहानी सुनानी है
एक नयी  कहानी बनानी है

एक नज़्म अगर जो  सुन लो तुम
एक लतीफा युहि अगर हँस लो तुम

...एक खामोश सी कहानी सुन लो तुम
...एक बादलों का गुच्छा धुन लो तुम
...एक फीकी सी कहानी चख लो तुम
..एक मीठी सी खुशबू भर दो  तुम

एक किरदार को ज़िन्दगी अता कर दो तुम
एक लम्हे को सदिया कर दो तुम

..आओ बैठो ....कुछ और भी बताना है
एक नयी कहानी सुनानी है
एक नयी  कहानी बनानी है

Wednesday, May 30, 2012

कितने घाव भरे है तुमने
अभी कितनी चोटे बाकी है

कितने ग़म दफ़न है सीने में
और कितनी सांसें बाकी है


कितने अश्क थमे है पलकों पर
और कितनी दरिया प्यासी है

कितनी बार तुम्हे पुकारों
और कितने मरहम बाकी है?

Wednesday, April 11, 2012

खुली हवा में अब दम घुटता है
कच्चे मकां में अब दम घुटता है

तौर तरीके रीति रिवाज़ कचोट ते है मुझे
तौर तरीको रीति रिवाजों में दम घुटता है

हर तरफ इस क़दर रंग बिखरे है के बेरंग हो गया हूँ मैं
रंगीन फिजा में अब दम घुटता है

खुली हवा में अब दम घुटता है
कच्चे मकां में अब दम घुटता है

Wednesday, April 04, 2012

याद है ....वोह कैसे पूरे दिन आधे शहर में मारे मारे फिरना
याद है ...वोह एक ही फिल्म कई बार देखना

याद है वोह बरसात...
....उस्सी से बचना और उस्सी में भीगना
भीगते भीगते बचना और बचते बचते भीगना

याद है वोह रेल की पटरी के पीछे वाली दरगाह
याद है वोह दरगाह का 'धागे वाला खम्बा'..
.... और वोह लाल ईटों वाला चबूतरा
जहाँ बैठ कर कभी घंटों बारिश देखा करते थे...
.....और याद है वोह सीढ़ियों के पास रेंगती हुई चीटियों की कातर से fascinate होना

याद वोह रेस्तुअरांत जिसका खाना खराब था और आइसक्रीम अच्छी
और हमारा फ्लेवर बदल बदल कर आइसक्रीम का लंच करना
आज भी गुज़रता हूँ उस के सामने से तो अपने से ही नज़र बचा कर...
 एक झलक पलट कर देख लेता हूँ वहाँ....
हमारी वाली टेबल के पास वाली खिड़की के बगल में एक बड़ी सी मोनालिसा की तस्वीर लगा दी है
वोह भी न जाने क्या याद करके मुरझाई सी मुस्कुराती रहती है

याद है एक बार...

याद है?

Tuesday, March 13, 2012

कैसे जीते हो ...
हमेशा खुश दिखते हो

यार, तुम घूमते कितना हो?

बर्फ में भी सर्दी नहीं लगती क्या?
हर तस्वीर में बस मुस्कुराते दिखते हो?
पर आँखों को काले चश्में से क्यों ढक लेते हो?

तुम थकते नहीं?

माथे पे कोई शिकन ना ही कपड़ो पे
आँख के नीचे काले दब्भे पड़ते है और ना ही तुम्हारे कभी बाल बिखरते देखे

तुम्हे नयी जगह आसानी से नींद जाती है??

कितने बेफिक्र दिखते हो
खुल कर हँसते हो
मुस्कराहट और दांत इतने perfect कैसे रखते हो?


कैसे जीते हो ...
हमेशा खुश दिखते हो

Friday, March 02, 2012

चलो कुछ बात करे
बस तुम कहो और मैं सुनूं

somewhere, on the slant of a mountain, where sun and shadow play a game.
somewhere, from we can see a river flowing, and hear a distant falling waterfall,
also can see snow clad peaks of some far far away mountains.

somewhere, we can sit silent, and yet talk.

बस , यूँ ही बैठे रहे और खामोशियों को बात करने दे
यह सांसें थक गयी है , इन्हें थोडा सुकून दे

चलो कुछ बात करे
बस तुम कहो और मैं सुनूं .....

Saturday, December 17, 2011

उदासी बरसती है

ठंडी सफ़ेद रातों में जब उदासी बरसती है
चुपके से आँखों में यादें तेरी रिसती है

सालों बीते ..बीतीं सदिया ......
लेकिन आज भी आँखों में खुशबू तेरी सिसकती है ......

Monday, March 15, 2010

काश

जिस तरह तूने  सहेज रखा है मेरे ख्यालों को 
काश तूने वैसे ही कभी मुझे सहेजा होता।