Friday, November 10, 2017

मैं उससे देखता ही रह गया

मैं उसे देखता ही रह गया 
वोह जो भी कहती  रही..... सब चुपचाप सह गया 

दिल ने बना रखा था जो सब्र का बाँध 
रोज़ रोज़ के सवालों से एक रोज़ वह भी ढेय गया 

मुद्दत से मैं खुद से खफा था बहुत 
अब के बात यूँ बड़ी खुद के ख़िलाफ़ हो गया 

आसमान भी खुल जाएगा और शब भी ढल जाएगी 
उसका क्या मलाल करे जो हो गया सो हो गया 

मैं उससे देखता ही रह गया 
वह जो भी कहती रही.... सब चुपचाप सह गया