Tuesday, March 13, 2012

कैसे जीते हो ...
हमेशा खुश दिखते हो

यार, तुम घूमते कितना हो?

बर्फ में भी सर्दी नहीं लगती क्या?
हर तस्वीर में बस मुस्कुराते दिखते हो?
पर आँखों को काले चश्में से क्यों ढक लेते हो?

तुम थकते नहीं?

माथे पे कोई शिकन ना ही कपड़ो पे
आँख के नीचे काले दब्भे पड़ते है और ना ही तुम्हारे कभी बाल बिखरते देखे

तुम्हे नयी जगह आसानी से नींद जाती है??

कितने बेफिक्र दिखते हो
खुल कर हँसते हो
मुस्कराहट और दांत इतने perfect कैसे रखते हो?


कैसे जीते हो ...
हमेशा खुश दिखते हो

4 comments:

~nm said...

:)

Stone said...

Disclaimer - this should be re-read in the light of 'facebook albums' of our friends :-)

How do we know said...

without that disclaimer, its a really nice poem!

Stone said...

@ How do we know - Thanks for the kind words.
I guess you're right, that disclaimer comment sounds awkward now, but the poem title and poem was a spontaneous reaction while viewing FB albums of some 'distant' friends :-)
So let it be :-)