Wednesday, June 25, 2014

यह मन

जहाँ नहीं है वही होना चाहता है
और जहाँ है वही से कौसो दूर है। …

देर रात jogging की ख्याइश बुनता है
भरी दोहपहरी में किसी पहाड़ की चोटी छूना  चाहता है

जब music सुनने का option  पास ना हो, तभी कुछ सुनने की तलब होती है
और जब होता है, तो कुछ ही देर में सब सुना सुना सा लगता है

कभी सारी दुनिया को switch off करके कोई किताब पढ़ने को तरसता है
और जब किताबें सामने हो तो सब समेट कर सोने का ढ़ोंग करता है

और जब सोने लगता है तो वोह भी time waste सा लगता है

जो है वो नहीं चाहिए।।।
और क्या चाहिए पता नहीं पर बहुत ज़रूरी और जल्दी  चाहिये। …

है तो बस........  एक ख़ालीपन
                           बेक़रारी
                           बेचैनी
                           बेसब्री

1 comment:

Vipin said...

बावड़ा है...पर बावरे की बातें बड़ी गहरी होती है...:)